आगर आप भारत वर्ष जैसे महान देश के रहवासी/ नागरिक हैं तो आप को भली भांति यहां के पुलिस कर्मियों के रवैया के बारे में पता ही होगा और आय दिन पुलिस कर्मियों द्वारा आम लोगो के साथ मारपीट,गाली – गलौच का विडियोज सोशल मीडिया के माध्यम से आप सभी के पास जरूर पहुंचता ही होगा जिसमे पुलिस कर्मियों द्वारा आम आदमी का शोषण, आम बात सी रह गई है वैसे तो भारत पावरफुल लोगों, गवर्मेंट ऑफ़िसर्स और गवर्मेंट सर्वेन्ट्स से भरी एक डेमोक्रेटिक कंट्री है। जिन्हें भारत के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग गवर्नमेंट पोस्ट्स के साथ बहुत सी पावर्स दी गई हैं, लेकिन जब उस पावर को यूज़ करने की बात आती है, तो यह ज्यादातर प्रैक्टिकल और सही नहीं होता है। ऑफिसर्स द्वारा पावर्स का बेरहमी से दुरुपयोग, आमतौर पर पुलिस ऑफिसर्स द्वारा किया जाता है। यह पब्लिक और प्राइवेट प्लेसीस में भी देखा जाता है, लेकिन आम जनता आमतौर पर उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं करती क्योंकि उन्हें आमतौर पर पुलिस ऑफ़िसर्स द्वारा गिरफ्तार होने या फिजिकल एब्यूज का शिकार होने का डर होता है या फिर वह अपने अधिकारों और कानून से अवेयर नहीं हैं और ना ही उन्हें पता है की जिस प्रकार हमारे संविधान में अलग – अलग धाराएं बनी है कानून व्यवस्था को ठीक रखने के लिए ठीक उसी प्रकार पुलिस कर्मियों के साथ भी ऐसी ही व्यवस्था है , जो की संविधान के अंदर ही आता है।
पुलिस ऑफ़िसर द्वारा पावर्स का गलत इस्तेमाल –
आमतौर पर यह देखा जाता है की एक लोअर रैंक ऑफ़िसर या पुलिस ऑफ़िसर कई तरह से अपनी पावर्स का गलत यूज़ करके किसी व्यक्ति को परेशान कर सकते है, जैसे रिश्वत देना, लॉबिंग करना, पुलिस की क्रूरता, झूठे सबूतों द्वारा पुलिस रिपोर्ट बनाना, पुलिस हरेस्मेंट, आदि ऐसी सामान्य घटनाएं हैं।
ऐसी परिस्थिति में आप को आप के संविधान में लिखी धाराएं ही बचा सकती है लेकिन सबसे पहले आप को इसके बारे में पता होना चाहिए की ऐसी स्थिती में हमारे क्या अधिकार हैं।
नार्मल पब्लिक को इन सभी लॉ के बारे में पता भी कुछ नहीं रहता है ,ऐसी स्थिति में ऐसे व्यक्ति को परेशान और शोषित होने के अलावा कुछ भी नहीं बचता है।
वैसे अगर कोई पुलिस ऑफ़िसर आपको रिश्वत देने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है या कुछ पर्सनल बेनेफिट के लिए आपको प्रभावित करने या डराने-धमकाने की कोशिश करे, तो आप उसके अगेंस्ट एक्शन ले सकते हैं। इसके लिए इंडियन पीनल कोड और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के सेक्शन 7 के तहत कुछ पर्टिकुलर लॉज़ बनाये गए हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं –
1- अगर कोई पुलिस ऑफ़िसर आपके साथ किसी भी तरह से क्रूर हो रहा है, तो यह बेसिकली आपके सिविल राइट्स का उल्लंघन करना है। जिसके लिए आप उनके कामों के अगेंस्ट लीगल एक्शन भी ले सकते है। अगर कोई ऑफ़िसर अपनी पावर्स का गलत यूज़ करता है और किसी व्यक्ति को अपनी पावर के रौब में गाली देता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं है, तो इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 197 के तहत सेंट्रल गवर्नमेंट से परमिशन लेकर इंटरफेयर किया जा सकता है। बल्कि जरूरत पड़ने पर उस पुलिस ऑफ़िसर के अगेंस्ट केस भी किया जा सकता है।
2- इसी तरह, गवाह की तरफ से झूठी गवाही देना भी पुलिस ऑफिसर्स द्वारा बहुत ही साधारण सी बात है और पुलिस कर्मियों द्वारा इसका खूब गलत इस्तेमाल किया जाता है और इसे पुलिस का सबसे मेन भ्रष्टाचार माना जाता है। इसलिए, अगर आप इस तरह की किसी भी सिचुएशन को फेस कर रहे है, तो आईपीसी के सेक्शन 193 के तहत, उस व्यक्ति को जो जुडिशल प्रोसीडिंग्स में झूठे सबूत देता है, उसे 3 साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है।
3- आमतौर पर पुलिस ऑफिसर्स द्वारा नागरिकों को कुछ गलत तरीके और दुर्व्यवहार से जैसे – पूछताछ, तलाशी, जब्ती, अरेस्ट या किसी व्यक्ति पर फिजिकल पावर यूज़ करके परेशान किया जाता है। ऐसे होने पर पुलिस ऑफिसर को आईपीसी के सेक्शन 129 के तहत सज़ा दी जा सकता है तो ऐसी स्थिति में आप को धीरज के साथ काम लेना है और आपने तहसील या ज़िला न्यालय में किसी वकील की मदद से उस भ्रष्ट पुलिस कर्मी के खिलाफ़ कोर्ट में केस कराना चाहिए।
इसलिए, अगर कोई भी पुलिस ऑफिसर आपके साथ बदतमीज़ी या दुर्व्यवहार करता है तो आपको ऐसी इन्सिडेंट्स का शिकार होने की जरूरत नहीं है। ऐसी किसी भी सिचुएशन में आप हमेशा एक लॉयर को हायर करके उनसे अपना केस फाइल करा सकते है।
अतः मैं ये गुजारिश करूंगा की आप सभी अपने संविधान को पढ़े और समझे ,जिस से आप अपने मौलिक कर्तव्य और आप के मौलिक अधिकारों को जान सकेंगे और ऐसी परिस्थिति में आवाज़ उठा सकेंगे।
सामान्यतः ‘ ट्रूलाइफ डीजी डाट कॉम पर ‘ आप को , ऐसी ही जानकारी आप के संविधान से जुड़ी – ‘ क्या आप कानून जानते हैं ‘ के कैटेगरी में मिल जायेगा आप लोग इसे पढ़े और अपने संबिधान को जाने ,समझे और इसकी रक्षा करे।