1 : चतुर गीदड़
एक शेर बूढ़ा हो गया था। वह दौड़ नहीं पाता था अब उसके लिए शिकार को पकड़ना कठिन हो गया ।भूखों मरने की नौबत आ गई।भोजन न मिल पाने से वह दुबला हो गया।एक दिन एक गीदड़ ने उस बूढ़े शेर को देखा। गीदड़ उससे बोला-“अरे जंगल के राजा ! क्या बात है? आप परेशान क्यों दिखाई दे रहे हैं?”गीदड़ स्वस्थ और सुंदर था । उसे देखकर बूढ़े शेर के मुंह में पानी भर आया।उसने सोचा,’किसी उपाय से इस गीदड़ को पकड़ा जाए।’ पर गीदड़ भी बहुत चालाक था। वह शेर से बहुत दूर खड़ा हो गया,जिससे कि वह शेर की पकड़ में न आ सके।गीदड़ की बात सुनकर शेर उससे बोला,”भैया! मैं बूढ़ा हो गया हूं । अब चल-फिर नहीं पाता । ठीक प्रकार से सुन भी नहीं पाता हूं । जरा पास आकर बताओ, क्या कहना चाहते हो?”गीदड़ भी कम चालाक न था । उसे संदेह था कि शेर उसे बेवकूफ बनाना चाहता है। वह शेर से और दूर हट गया और धीरे से बोला,”चुप मूर्ख ! क्या बक – बक करता है?”
यह सुनते ही शेर क्रोध से भर गया,”मुझे मूर्ख कहता है , तेरी इतनी हिम्मत? गीदड़ हंसता हुआ बोला,” दादा! मैं यही देखना चाहता था कि क्या सचमुच ही आप सुन नहीं पाते।”यह कहकर गीदड़ वहां से भाग गया। शेर अपना – सा मुंह लेकर रह गया।
2 : जैसे को तैसा
बहुत पहले की बात है । एक दिन एक यात्री बहुत दूर से थका – हारा आया और सराय के द्वार पर पहुंचा। रात का समय हो गया था । अतः सराय का द्वार बंद हो चुका था । कई बार दरवाजा खटखटाने के बाद अंदर से आवाज आई,” दरवाजे की चाबी खो गई है । अगर चांदी की चाबी अंदर डालो, तो द्वार खुल जाएगा।” यात्री समझ गया कि सराय का रखवाला लोभी है । उस समय चांदी के सिक्के चला करते थे । उसने फौरन जेब से चांदी के कुछ सिक्के निकालकर दरवाजे के नीचे से अंदर सरका दिए।अब क्या था , द्वार उसी समय खुल गया । अंदर आकर यात्री ने जेब से एक सिक्का निकाल कर रखवाले को दिया और कहा, “बाहर पेड़ के नीचे मेरा थैला रह गया है । तुम जाकर उसे उठा लाओ।”रखवाला थैला लेने बाहर गया । परंतु वहां कोई थैला न था। चारों ओर देखकर वह वापस लौट आया । पर यह क्या, सराय का दरवाजा अंदर से बंद था । उसने दरवाजा खटखटाया, पर व्यर्थ । दरवाजा न खुला । बार-बार दरवाजा खटखटाए जाने पर अंदर से यात्री ने उत्तर दिया, “भाई, दरवाजे की चाबी नहीं मिल रही ।
अगर चांदी की चाबी अंदर दो, तो शायद दरवाजा खुल जाए।” रखवाला तो परेशान हो चुका था । यह सुनकर वह अपनी गलती समझ गया । यात्री के दिए हुए सिक्के उसने दरवाजे के नीचे से सरका दिए । यात्री ने दरवाजा खोल दिया । यात्री के सामने पहुंचकर रखवाले ने उससे क्षमा मांगी और भविष्य में कभी ऐसी गलती न करने का वचन दिया।
इस तरह जैसे को तैसा व्यवहार करके यात्री ने रखवाले को अच्छा सबक सिखा दिया ।