Success Story: 45 की उम्र में बिजनेस किया शुरू, आज लाखों कमा रही हैं वंदना पाटिल

Success Story: ” महाराष्ट्र के जलगांव की वंदना प्रभाकर पाटिल ने इस कहावत को सच कर दिखाया है- कि कारोबार शुरू करने की कोई उम्र नहीं होती, जरूरत होती है तो बस एक अच्छे आइडिया और हिम्मत की।” करीब 45 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसा कारोबार शुरू किया, जिसकी बदौलत आज वह हर महीने लाखों रुपये कमा रही हैं, और उनके उत्पाद देश ही नहीं, विदेशों तक पहुँच रहे हैं।

बिना बैंक लोन के शुरू किया बिजनेस


वंदना पाटिल बताती है कि उनके लिए बिजनेस शुरू करना बिलकुल भी आसान नहीं था। जब बैंक ने बिजनेस लोन देने से मना कर दिया, तब वंदना ने 10 लाख रुपये का पर्सनल लोन लेकर यूनिट लगाने का फैसला किया। बाद में उन्हें केंद्र सरकार की PMFME (प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज) योजना के तहत 1.81 लाख रुपये की सब्सिडी भी मिली। नवंबर 2022 तक उनकी सोलर ड्राइंग यूनिट पूरी तरह से चालू हो गई।

स्वयं सहायता समूह से उद्यमिता की ओर सफर


इस भाग दौड़ वाली जिंदगी मे पैसे का बहुत महत्व है और रोज मरा की जिंदगी के लिए पैसे की बहुत ही जरुरत होती है, जिस के लिए वंदना पाटिल ने दो दशक से भी अधिक समय तक महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के साथ मिलकर अचार, स्नैक्स और मसाले बनाकर बेचे। लेकिन इन उत्पादों की बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा और सीमित मांग ने उन्हें कुछ नया सोचने के लिए प्रेरित किया। 2021 में उन्होंने ममुराबाद स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) का दौरा किया, जहां उन्होंने सोलर डिहाइड्रेशन तकनीक सीखी। यह तकनीक न सिर्फ उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाती है, बल्कि पोषण तत्वों को भी बनाए रखती है।

देश से विदेश तक पहुँचा कारोबार


वंदना का ब्रांड गायत्री फूड्स आज न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई करता है, बल्कि अमेरिका, कनाडा और मालदीव जैसे देशों में भी उनके उत्पादों की बिक्री हो रही है। भारत में ही डिहाइड्रेटेड फलों और सब्जियों का बाजार 2023 में 17,200 करोड़ रुपये का था और 2035 तक इसके दोगुना होने की संभावना है। सेहत को लेकर बढ़ती जागरूकता और क्विक फूड की डिमांड इस बाजार को और तेज़ी से बढ़ा रही है।

कैसे काम करता है सोलर डिहाइड्रेशन यूनिट?


वंदना की यूनिट में पॉलीकार्बोनेट शीट से बने टनलनुमा ढांचे का इस्तेमाल होता है, जो सूर्य की रोशनी से ग्रीनहाउस जैसा प्रभाव पैदा करता है। अंदर की गरम हवा ट्रे पर रखी सब्जियों को धीरे-धीरे सुखाती है और एग्जॉस्ट फैन नमी बाहर निकाल देते हैं। इस तकनीक से सब्जियों और फलों का प्राकृतिक रंग, स्वाद और पोषण बना रहता है। यहाँ मोरिंगा, करी पत्ता, चुकंदर, टमाटर, प्याज और नींबू को सुखाकर फ्लेक्स और पाउडर बनाए जाते हैं, जिन्हें वंदना “ब्रेकफास्ट फूड्स” ब्रांड नाम से बेचती हैं।

उत्पाद की कीमत और टर्नओवर


सोलर ड्राईंग से बने उत्पाद कीमती जरूर होते हैं, लेकिन गुणवत्ता और पोषण के मामले में बेहतरीन होते हैं। 22 किलो ताजे टमाटर से सिर्फ 1 किलो पाउडर बनता है जिसकी कीमत 700 रुपये प्रति किलो है। 10 किलो चुकंदर से करीब 2.5 से 3 किलो फ्लेक्स बनते हैं, जिसकी कीमत भी 700 रुपये प्रति किलो है।

इसके बावजूद, ग्राहकों में इनके प्रति भरोसा और मांग लगातार बढ़ रही है। वंदना का मासिक टर्नओवर करीब 3 लाख रुपये है, जबकि प्रदर्शनियों में 2 से 3 दिन में ही 8–10 लाख रुपये तक की बिक्री हो जाती है। उन्होंने अब बैंक का कर्ज पूरी तरह चुका दिया है और अपने एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने के लिए यूनिट की क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही हैं।

प्रेड़ना –

इस प्रकार वंदना पाटिल के इस कारोबारी सफर से हमें ये प्रेणा मिलती है की- ‘अगर परिस्थितियों से हार ना मान कर जीवन मे संघर्ष किया जाय तो जीवन की दशा और दिशा बड़े ही आसानी से बदला जा सकता है।’

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